इन्शुरन्स कंपनियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री आगामी केंद्रीय बजट में उन्हें बीमा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए रियायतों सहित कई कर लाभ देंगी। बता दें कि केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश होना है। बीमा कंपनियों की टॉप लीडरशिप का मानना है कि 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘बीमा सुगम’ जैसी पहलों को नियामक और आर्थिक समर्थन मिलने की उम्मीद है। बीमा प्लेटफॉर्म पॉलिसी बाजार और वित्तीय सेवा प्लेटफॉर्म पैसा बाजार ने बीमा क्षेत्र में धारा 80सी और 80डी के तहत टैक्स के नियमों में बदलाव की बात की।
इनका कहना है कि बीमा क्षेत्र में सबसे जरूरी सुधारों में से एक धारा 80सी और 80डी के तहत कर नियमों में बदलाव की जरूरत है। वर्तमान में 80सी के तहत भुगतान की सीमा 1,50,000 रुपये है, जिसमें पिछले कुछ सालों से कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसमें पीपीएफ और लोन जैसी अन्य जरूरी चीजें भी शामिल हैं, जिससे लोगों के पास अपने महत्वपूर्ण वित्तीय फैसले लेने की गुंजाइश कम हो जाती है। भारत की आर्थिक वृद्धि बीमा क्षेत्र के लिए वित्तीय मजबूती बढ़ाने के कई अवसर प्रस्तुत करती है। जीवन बीमा एन्युटी उत्पादों की कर कटौती को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के साथ एकीकृत करके और एन्युटी उत्पादों के मूल घटक पर कर के मुद्दे को हल करके, सेवानिवृत्ति आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकता है।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में बीमा पैठ 2023-24 में 3.7 प्रतिशत थी, जबकि 2022-23 में यह चार प्रतिशत थी। जीवन बीमा उद्योग की पहुंच 2022-23 में तीन प्रतिशत से मामूली रूप से घटकर 2023-24 के दौरान 2.8 प्रतिशत रह गई। गैर-जीवन बीमा उद्योग के संबंध में, 2023-24 के दौरान पहुंच एक प्रतिशत पर ही बनी रही।