कॉरपोरेट FD निश्चित रिटर्न के लिए निवेश का एक विकल्प है। हर निवेश की तरह इसमें भी थोड़ा जोखिम हो सकता है, लेकिन कॉरपोरेट FD के जोखिम को थोड़े प्रयास से आसानी से मैनेज किया जा सकता है। कॉरपोरेट FD में निवेश करने से पहले निवेशकों को स्थापित कंपनियों, अच्छी क्रेडिट रेटिंग, पिछले ट्रैक रिकॉर्ड आदि पर ध्यान देना चाहिए, फिर जोखिम को आसानी से मैनेज किया जा सकता है। हर निवेशक जानता है कि कोई भी निवेश जोखिम रहित नहीं होता।
बैंक FD की तुलना में कॉरपोरेट FD पर ज़्यादा ब्याज मिलता है। शेयर बाज़ार में निवेश किए बिना बेहतर रिटर्न की तलाश करने वालों के लिए कॉरपोरेट FD एक बेहतर विकल्प है। कॉरपोरेट FD गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी NBFC और HFC द्वारा ऑफ़र किए जाते हैं, जिन्हें RBI और नेशनल हाउसिंग बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है। यह आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने का भी एक अच्छा तरीका है। अपने फंड का एक हिस्सा कॉरपोरेट FD में जोड़ने से आपका निवेश पोर्टफोलियो संतुलित रहेगा। बाजार से जुड़े निवेशों के विपरीत, कॉरपोरेट एफडी पर रिटर्न तय होता है। कॉरपोरेट एफडी काफी सरल हैं। आपको पता होता है कि आप कितना निवेश कर रहे हैं, कितने समय के लिए और आपको क्या रिटर्न मिलेगा।
कॉरपोरेट एफडी में जोखिम की बात करें तो इसमें डिफॉल्ट का जोखिम होता है, क्योंकि जारीकर्ता कई कारणों से डिफॉल्ट कर सकता है। ऐसे मामलों में, निवेशक के लिए जमा की वसूली एक मुश्किल और लंबी अवधि का मामला हो सकता है। कॉरपोरेट एफडी समय-समय पर एक निश्चित दर पर ब्याज देते हैं। इस अवधि के दौरान, मैक्रो कारकों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और इसका असर कॉरपोरेट एफडी पर वास्तविक रिटर्न पर पड़ेगा। कॉरपोरेट एफडी में मूल्य जोखिम भी होता है, जहां अगर बाजार में दरें बढ़ती हैं, तो आप कम दरों पर फंस जाते हैं। साथ ही, अगर दरें कम हैं, तो पूंजी वृद्धि का कोई लाभ नहीं मिलता है, जो ट्रेडेड बॉन्ड और डेट म्यूचुअल फंड में उपलब्ध है।
कॉरपोरेट एफडी में निवेश करने से पहले, कॉरपोरेट की तुलना करना बेहतर होता है और जांच लें कि क्या उनके पास केयर, क्रिसिल और आईसीआरए से अच्छी रेटिंग है। AAA रेटिंग को सबसे अच्छा माना जाता है। निवेशकों को कंपनी के लाभ और हानि के ट्रैक रिकॉर्ड को भी देखना चाहिए।