स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट देने के प्रस्ताव पर राज्यों में मतभेद बना हुआ है। राज्य और केंद्र सरकार के राजस्व अधिकारियों वाली फिटमेंट समिति इस विवादास्पद मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। इस संबंध में निर्णय 9 सितंबर को दिल्ली में होने वाली केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद की बैठक में लिए जाने की संभावना है।
मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों को छूट, आंशिक छूट या इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के साथ या उसके बिना 5 प्रतिशत की कर दर को कम करने सहित विभिन्न विकल्पों पर अभी भी चर्चा चल रही है। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने के प्रस्ताव ने राज्यों द्वारा संभावित राजस्व हानि के बारे में चिंता व्यक्त करने के बीच बहस छेड़ दी है, जो 3,200 से 4,000 करोड़ रुपये के बीच होने की संभावना है।
अधिकारियों ने कहा कि अंतिम नुकसान का आंकड़ा आईटीसी के प्रतिधारण पर निर्भर करता है। एक अधिकारी ने कि कर प्रणाली में कई बारीकियां हैं। कुछ राज्य स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट दिए जाने के राजस्व निहितार्थों के प्रति सचेत हैं। कुछ बहुत रूढ़िवादी हैं, जबकि अन्य को लगता है कि कम कर से स्वास्थ्य बीमा का व्यापक कवरेज हो सकता है। सबसे बड़ी धारणा यह है कि कर राहत के कारण जो भी नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई अन्य क्षेत्रों द्वारा की जा सकती है।”