दुनिया में एक अरब डॉलर तक की पूंजी वाली स्टार्टअप कंपनियों के मामले में भले ही भारत तीसरे नंबर पर है, लेकिन नई फर्म खुलने की रफ्तार अब कम हो गई है। 2016 के बाद से ही नए स्टार्टअप्स के शुरू होने की संख्या में गिरावट का दौर जारी है, जबकि 2019 में नए स्टार्टअप्स का आंकड़ा सबसे कम रहा है। नए स्टार्टअप्स के मामले में 2015 का साल सबसे बेहतर था। उस साल 16,727 नए स्टार्टअप्स की शुरुआत हुई थी। इसके बाद लगातार गिरावट ही देखने को मिली है।
साल 2016 में 12,860 नए स्टार्टअप्स की शुरुआत हुई, जबकि 2017 में 8,741 और 2018 में 8,409 नए स्टार्टअप्स की शुरुआत हुई। यह आंकड़ा 2019 में बेहद तेजी से कम होते हुए महज 5,462 के स्तर पर आ गया। 2018 के मुकाबले यह करीब 35 फीसदी कम है। देश में निवेश और नई कंपनियों की स्थापना का डेटा मुहैया कराने वाली संस्था Tracxn ने यह आंकड़ा जारी किया है।
आंकड़ों के मुताबिक नए स्टार्टअप्स की संख्या में यह कमी सिर्फ किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि सभी सेक्टर्स में देखी गई है। फिनटेक यानी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी से रिटेल तक के कारोबार में नई कंपनियों और नए उद्यमियों की एंट्री में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। जानकारों के मुताबिक 2014 में नई सरकार बनने के बाद स्टार्टअप इंडिया के तहत नई कंपनियों की एंट्री को बड़ा प्रोत्साहन मिला था। इसके अलावा फंडिंग भी खूब हो रही थी।
अब स्टार्टअप्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। इसके अलावा हर आइडिया को फंडिंग नहीं मिल पा रही है। ऐमें नए स्टार्टअप्स की स्थापना में कमी देखने को मिल रही है। खासतौर पर नोटबंदी और डिजिटल इंडिया के चलते 2016 के दौर में फिनटेक स्टार्टअप्स की संख्या तेजी से बढ़ी थी, लेकिन अब इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा तेजी से बढ़ी है और नए स्टार्टअप्स की संख्या में कमी आई है।