नेशनल इंश्योरेंस एकेडमी की रिपोर्ट के मुताबिक देश की 95 फीसदी आबादी बीमाकृत नहीं है, है न ये हैरानी वाली बात। देश आज आज़ादी के 75 साल पूरे कर चूका है, अमृतकाल के दावे हो रहे हैं मगर अपने जीवन की सुरक्षा को लेकर लोगों में कोई जागरूकता नहीं है. ऐसा नहीं है कि बीमा कम्पनियाँ और सरकार बीमा को लेकर प्रचार प्रसार नहीं कर रही हैं लेकिन जब आंकड़े ये दर्शाते हों तो हैरानी स्वाभाविक है और कहीं न कहीं लोगों तक इन्शुरन्स को लेकर बात सही ढंग से नहीं पहुँच पा रही है. आज भी देश में गरीबों की संख्या भले ही ज़्यादा हो मगर संपन्न लोगों की संख्या भी काफी बड़ी है और साथ ही पढ़े लोगों की भी, तो आप ऐसा भी नहीं कह सकते कि इन्शुरन्स के बारे में लोगों में समझ नहीं है, तो फिर ऐसी क्या वजह है जो देश में सिर्फ 5 प्रतिशत लोग ही बीमाकृत हैं
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के मुताबिक IRDAI ने उद्योग जगत से इस बारे में मदद मांगी है और उन कदमों का पालन करने का आग्रह किया जिनसे UPI को बढ़ाने, बैंक खाते खोलने के साथ-साथ मोबाइल पहुंच बढ़ाने में मदद मिली है. IRDAI के मुताबिक उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में अनिवार्य प्राकृतिक आपदा बीमा की आवश्यकता है और इस रिपोर्ट में इसकी सिफारिश भी की गई है। सबके लिए बीमा का लक्ष्य हासिल करना है तो ऐसा करना जरूरी है.
IRDAI की रिपोर्ट के मुताबिक144 करोड़ आबादी वाले देश में 95 फीसदी लोग बीमा के दायरे में नहीं हैं। देश में प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु संबंधी अन्य आपदाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस वृद्धि को देखते हुए बीमा पैठ बढ़ाना अहम है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वर्ग के 84 प्रतिशत लोगों और तटीय क्षेत्रों, सेकंड और थर्ड टियर के शहरों में 77 प्रतिशत लोगों के पास बीमा का अभाव है। 73 प्रतिशत आबादी हेल्थ इन्शुरन्स के दायरे में नहीं है और इस दिशा में सरकार के साथ सभी को सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। देश में इस समय 34 जनरल और 24 लाइफ इन्शुरन्स कंपनियाँ एक्टिव हैं। बीमा सेक्टर 15-20% की रफ़्तार से बढ़ रहा है।