आगामी बजट सत्र के दौरान सरकार बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि संशोधन विधेयक में शामिल किए जा सकने वाले कुछ प्रावधानों में समग्र लाइसेंस, गैप कैपिटल, सॉल्वेंसी मानदंडों में छूट, कैप्टिव लाइसेंस जारी करना, निवेश नियमों में बदलाव, बिचौलियों के लिए एकमुश्त पंजीकरण और बीमा कंपनियों को दूसरे फाइनेंसियल प्रोडक्ट वितरित करने की अनुमति देना शामिल हैं।
इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की तरह विभिन्न बीमा कंपनियों को प्रवेश की अनुमति मिल सकती है। बैंकिंग सेक्टर को वर्तमान में यूनिवर्सल बैंक, स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कम्पोज़िट लाइसेंस के प्रावधान से लाइफ इन्शुरन्स कंपनियों को हेल्थ इन्शुरन्स या जनरल इन्शुरन्स पॉलिसियों को अंडरराइट करने की अनुमति मिल जाएगी। बीमा अधिनियम, 1938 के प्रावधानों के अनुसार, जीवन बीमा कंपनियां केवल जीवन बीमा कवर प्रदान कर सकती हैं, जबकि सामान्य बीमा कंपनियां स्वास्थ्य, वाहन, अग्नि जैसे गैर-बीमा उत्पाद प्रदान कर सकती हैं।
IRDA बीमा कंपनियों के लिए समग्र लाइसेंसिंग की अनुमति नहीं देता है। ऐसी स्थिति में, एक बीमा कंपनी एक इकाई के रूप में जीवन और गैर-जीवन दोनों उत्पाद प्रदान नहीं कर सकती है। सूत्रों ने बताया कि विधेयक का मसौदा तैयार है और इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि इसे आगामी सत्र में पेश कर दिया जाएगा।