नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था के उम्मीद से ज्यादा तेज रिकवरी कर रही है और भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में नरमी के रुख को अब छोड़ सकता है. वैश्विक स्तर पर पूर्वानुमान लगाने वाली कंपनी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 6 फीसदी से ज्यादा रहेगी और केंद्रीय बैंक दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को बरकरार रखेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति अक्टूबर में कोविड-19 से पूर्व के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. ईंधन को छोड़कर दूसरी लगभग हर श्रेणियों में दाम बढ़े हैं. इसके मुताबिक, चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति अपने अधिकतम स्तर पर होगी और 2021 में हमें इस पर ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होगी.
अंडों और सब्जियों के दाम बढ़ने से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति करीब साढ़े छह साल के उच्चतम स्तर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई है. यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं ज्यादा है. सितंबर 2020 में खुदरा महंगाई 7.27 फीसदी पर थी.
ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने कहा कि उसी समय मजबूत डेटा यह दिखाता है कि अर्थव्यवस्था अनुमान से अधिक रिकवर कर रही हो सकती है. ऐसे में, हम एक रोचक संभावना देख रहे हैं कि रिजर्व बैंक ब्याज दरों में नरमी के रुख को अब खत्म सकता है.
मूडीज इन्वेस्टर्स समिट ने इस साल भारत के लिए अपने जीडीपी के पूर्वानुमान को पहले से सुधारकर 2020 कैलेंडर ईयर में (-) 8.9 फीसदी कर दिया है. अर्थव्यवस्था लंबे और सख्त लॉकडाउन के बाद वापसी कर रही है लेकिन रिकवरी में समय लगेगा.