दुनिया के सबसे बड़े आईपीओ पर रोक लगाने के फैसले के पीछे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का हाथ है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति ने व्यक्तिगत रूप से इसमें दिलचस्पी लेकर इस पर रोक लगाने का फैसला लिया था. बता दें कि 2.6 लाख करोड़ (3700 करोड़ डॉलर) का यह आईपीओ ऐंट ग्रुप का था. वॉल स्ट्रीट जर्नल को मामले के जानकार चाइनीज ऑफिशियल्स ने बताया कि चीन के राष्ट्रपति ने यह फैसला इस वित्तीय तकनीकी (फिनटेक) कंपनी के फाउंडर जैक मा द्वारा सरकारी नीतियों की आलोचना के बाद लिया है.
जैक मा ने सार्वजनिक तौर पर चीन के फाइनेंसियल वॉचडॉग और बैंकों की आलोचना कर दिया था. उन्होंने शंघाई में 24 अक्टूबर को एक सम्मेलन में कहा था कि चीन की रेगुलेटरी सिस्टम बहुत दमघोंटू है और इसमें सुधार की जरूरत है. इसके बाद चीन के राष्ट्रपति ने नियामकों से जांच करने और ऐंट ग्रुप के स्टॉक मार्केट फ्लोटेशन को रोकने का निर्देश दिया था. हालांकि इस मसले में पूछे जाने पर अभी ऐंट ग्रुप और चीन के कैबिनेट, स्टेट काउंसिल के इंफॉर्मेशन ऑफिस से कोई जवाब नहीं मिला है.
जैक मा के इस बयान के बाद चीन की नियामकीय संस्थाएं रिपोर्ट्स तैयार करना शुरू कर दिया कि किस तरह ऐंट ने हुआबेई नामक डिजिटल फाइनेंसियल प्रॉडक्ट्स का प्रयोग किया. यह एक वर्चुअल क्रेडिट कार्ड है जिसका वहां के गरीबों और युवाओं में जबरदस्त क्रेज है. स्टेट काउंसिल के जनरल ऑफिस ने मा के बयान के बाद लोगों के सेंटिमेंट पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार कर उसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत कई वरिष्ठ नेताओं को सौंपा.