भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने अब सभी जीवन बीमा बचत उत्पादों में पॉलिसी लोन की सुविधा अनिवार्य कर दी है। इस फैसले से पॉलिसीधारकों को बीमा कंपनियां अब आसानी से पॉलिसी पर लोन उपलब्ध करा सकेंगी।
इरडा के सर्कुलर में कहा गया है, “अगर बीमा कंपनी बीमा लोकपाल के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करती है और 30 दिनों के भीतर इसे लागू नहीं करती है, तो कम्प्लेन करने वाले को रोज़ाना पांच हज़ार रुपये का जुर्माना देना होगा।” इंस्युरेन्स कंपनियों से निरंतरता में इम्प्रूवमेंट, गलत बिक्री पर अंकुश लगाने और पॉलिसीहोल्डर्स को फाइनेंसियल नुकसान से बचाने और उनके लिए दीर्घकालिक लाभ बढ़ाने के लिए तंत्र स्थापित करने को कहा गया।
बुधवार को जीवन बीमा पॉलिसियों से संबंधित सभी नियमों को एकीकृत करते हुए ‘मास्टर’ सर्कुलर जारी करते हुए इरडा ने कहा कि ‘फ्री-लुक’ अवधि अब 30 दिन है। पहले यह अवधि 15 दिन थी। ‘फ्री-लुक’ अवधि पॉलिसी के नियमों और शर्तों की समीक्षा करने का समय प्रदान करती है। नया ‘मास्टर’ सर्कुलर सामान्य बीमा पॉलिसियों के लिए नियामक द्वारा की गई इसी तरह की कवायद के बाद आया है। इरडा ने कहा, “यह पॉलिसीहोल्डर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए बीमा रेगुलेटर द्वारा उठाए गए सुधारों की श्रृंखला में एक अहम् कदम है। अब इनोवेशन को बढ़ावा देने, कस्टमर अनुभव और सैटिस्फैक्शन को बढ़ाने के लिए बेहतर माहौल उपलब्ध है।”
‘मास्टर’ सर्कुलर के मुताबिक पेंशन प्रोडक्ट्स के तहत partial निकासी की सुविधा की अनुमति दी गई है। इससे पॉलिसीहोल्डर्स को बच्चों की उच्च शिक्षा या शादी, आवासीय घर/फ्लैट की खरीद/निर्माण; चिकित्सा व्यय और गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अपनी विशिष्ट वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। IRDAI ने कहा कि पॉलिसी बंद होने की स्थिति में, बंद करने वाले पॉलिसीधारक और जारी रखने वाले पॉलिसीधारक दोनों के लिए एक उचित और मूल्यवान राशि सुनिश्चित की जानी चाहिए।