नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की सोमवार को होने वाली बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं, क्योंकि गैर-भाजपा शासित राज्य अभी भी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र के साथ असहमत हैं. भाजपा शासित राज्यों समेत कुल 21 राज्यों ने जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है. इन राज्यों के पास चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये 97 हजार करोड़ रुपये उधार लेने का विकल्प चुनने का सितंबर मध्य तक समय था.
हालांकि पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा कर्ज उठाने के दिये गये विकल्प को अब तक नहीं चुना है. सूत्रों का कहना है कि पांच अक्टूबर को होने वाली जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक में विपक्षी दलों के द्वारा शासित राज्य केंद्र के विकल्प का विरोध कर सकते हैं. ये राज्य जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये वैकल्पिक व्यवस्था की मांग कर सकते हैं. इन राज्यों का मानना है कि राज्यों के राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति करना केंद्र सरकार का संवैधानिक दायित्व है.
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष में राज्यों को जीएसटी से प्राप्त होने वाले राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आ सकती है. केंद्र सरकार की गणना के हिसाब से इसमें महज 97 हजार करोड़ रुपये की कमी के लिये जीएसटी का क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये की कमी कोविड-19 के कारण है. केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत राज्य या तो रिजर्व बैंक के द्वारा दी गयी विशेष सुविधा से 97 हजार करोड़ रुपये का कर्ज उठा सकते हैं या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपये उधार ले सकते हैं.